संसाधन एवं विकास कक्षा 10 अर्थशास्त्र।। Class 10th Sansadhan Ev Vikas

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दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे। कक्षा 10 की विषय सामाजिक विज्ञान के किताब भूगोल के पाठ संसाधन एवं विकास के बारे में जो आपके पतिक्षा के लिए महत्वपूण है।
तो बड़े ध्यान से इस पोस्ट को पढ़ना है।

                   संसाधन एवं विकास

प्यारे मित्रो यह पाठ कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान विषय भूगोल के पाठ 1 के कुछ मुख्य तथ्य नीचे दिए गए हैं।

आशा है आप इसे बड़े ध्यान से पढ़ेंगे।

 संसाधन क्या है?

हमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है और जिसको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है जो आर्थिक रूप से संभव और सांस्कृतिक रूप से माननीय है वह संसाधन कहलाता है।

संसाधन के  प्रकार

1. उत्पत्ति के आधार पर।
2.समाप्यता के आधार पर।
3. स्वामित्व के आधार पर।
4. विकास के स्तर के आधार पर।

इन सब के भी कई प्रकार हैं जिनके बारे में आगे पढ़ेंगे।

 आप की एनसीईआरटी की बुक में भी दिया है। आप वहां से भी पढ़ सकते हैं।

सतत पोषणीय विकास  क्या है?

संसाधन का ऐसा विवेकपूर्ण प्रयोग ताकि ना केवल वर्तमान पीढ़ी की अपितु भावी पीढ़ियों की आवश्यकताएं भी पूरी होती रहे वह सतत पोषणीय विकास कहलाता है।

संसाधन नियोजन क्या है?

 ऐसे उपाय अथवा तकनीक जिसके द्वारा संसाधनों का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जाता है, वह संसाधन नियोजन कहलाता है।

भू-निम्नीकरण के करण  कारण क्या है?

1. अति पशु चारण
2.अति सिंचाई
3.औद्योगिक प्रदूषण
4. वनोन्मूलन
5.खनन

भूमि संरक्षण के  उपाय।

1.वनारोपण
2.पशुचारण
3.रक्षक मेखला
4.खनन नियंत्रण
5. औधोगिक जल का परिष्करण

मृदा कितने प्रकार के होते हैं।

              मृदा के प्रकार

1. लाल और पीली मृदा
2. जलोढ़ मृदा
3.काली मृदा
4.लेटराइट मृदा
5.मरुस्थलीय मृदा
6.वन 

अब हम मृदा के सभी प्रकारो को  अलग-अलग एक-एक करके ध्यान पूर्वक पढ़ेंगे।

1.लाल और पीली मृदा

1. लोहे के कणों की अधिकता के कारण रंगलाल तथा कहीं-कहीं पीला भी होता है।
2. अम्लीय प्रकृति की मिट्टी होती है।
3. चूने के इस्तेमाल से उर्वरता को बढ़ाया जा सकता है।
4. उड़ीसा, छत्तीसगढ़ , मध्य गंगा के मैदान व गारो, खासी व  जयंतिया के पहाड़ों पर पाई जाती है।

2. जलोढ़ मृदा

1. भारत की लगभग 45% क्षेत्र पाई जाती है।
2. इस मिट्टी में पोटाश की बहुलता होती है।
3. सिंधु गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदी तंत्रों द्वारा विकसित हुआ है।
4. आयु के आधार पर पुरानी जलोढ़ को बांगर यह नई जलोढ़ को खादर कहा जाता है।
5. बहुत उपजाऊ तथा गन्ना चावल गेहूं आदि फसलों के लिए यह उपयोगी है।

3.काली मृदा 

1.रंग काला एवं अन्य नाम रेगर मृदा है।
2. टिटेनीफेरस मैग्नेटाइट और जीवांश की उपस्थिति
3. बेसाल्ट चट्टानों के टूटने-फूटने के कारण निर्माण हुआ है काली मृदा का।
4. कपास की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त काली मृदा।
5. काली मृदा महाराष्ट्रा, सौराष्ट्र, मालवा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठारों में पाई जाती है।

4.लेटराइट मृदा

1. उच्च तापमान और अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में विकसित है।
2. भारी वर्षा से अत्यधिक निक्षालन का परिणाम है।
3. चाय और काजू के लिए उपयुक्त है।
4. कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश , उड़ीसा तथा असम के पहाड़ी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

5.मरुस्थलीय मृदा

1. रंग काला और भूरा होता है
2. रेतीली तथा लवणीय
3. शुष्क जलवायु तथा उच्च तापमान के कारण जल वाष्पन की दर अधिक होती है
4.हारूमस और नमी की यात्रा कम होती है।

6.वन मृदा

1.पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
2.गठन में पर्वतीय पर्यावरण के अनुसार बदलाव।
3.नदी घाटियों में मृदा दोमट तथा सिल्टदार।
4.अधिसिलक तथा हारूमस रहित।

आशा है आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा। ऐसे ही पोस्ट के बारे में जनने के लिए आप अपने इस प्रिय site पर visite करते रहे।

                                    “धन्यवाद”

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